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Stock Market Prediction: कल कैसी रहेगी बाजार की चाल? क्या जारी रहेगी तेजी|

Stock Market Prediction: शेयर बाजार में चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान बढ़ाने और नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के रिजर्व बैंक के फैसले से बैंकिंग एवं अन्य शेयरों में जमकर लिवाली हुई थी|

Indian stock exchange with bull art placed on side of currency notes.

Stock Market Prediction -शेयर बाजार में पिछले सप्ताह बंपर तेजी देखने को मिली थी। बीते शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान बढ़ाने और नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के रिजर्व बैंक के फैसले से बैंकिंग एवं अन्य शेयरों में जमकर लिवाली हुई थी।

इस तेजी के बीच घरेलू शेयर बाजार के दोनों मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी अपने नए उच्चस्तर पर बंद हुए थे। बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 303.91 अंक यानी 0.44 प्रतिशत बढ़कर 69,825.60 अंक के अपने नए शिखर पर पहुंच गया था। सूचकांक दिन में कारोबार के दौरान नए रिकॉर्ड स्तर 69,893.80 अंक तक भी गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 68.25 अंक यानी 0.33 प्रतिशत चढ़कर 20,969.40 अंक की नए रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से एचसीएल टेक में सर्वाधिक 2.69 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई थी। जेएसडब्ल्यू स्टील (2.44 प्रतिशत) और इन्फोसिस (1.67 प्रतिशत) भी खासी बढ़त में रहे थे। एचडीएफसी बैंक, टाइटन, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर भी चढ़कर बंद हुए थे। दूसरी तरफ आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज फाइनेंस के शेयरों में गिरावट का रुख रहा था।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘‘भारत FPI के लिए शीर्ष निवेश गंतव्य है। वैश्विक निवेशक समुदाय के बीच यह आम राय है कि आगामी वर्षों में सतत वृद्धि की दृष्टि से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत की स्थिति सबसे बेहतर है।

श्रीवास्तव ने कहा कि 2022 में विदेशी निवेशकों का प्रवाह काफी हद तक अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में मुद्रास्फीति और ब्याज दर परिदृश्य, मुद्रा के उतार-चढ़ाव, कच्चे तेल की कीमतों, भू-राजनीतिक परिदृश्य और घरेलू अर्थव्यवस्था की सेहत जैसे कारकों से प्रेरित था।

FPI ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपये, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपये डाले थे।

कुल मिलाकर उनका निवेश दो लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। तीन महत्वपूर्ण राज्यों में हाल के चुनावों में भाजपा की जीत के बाद राजनीतिक स्थिरता की स्थिति बेहतर होने से शेयरों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये के निवेश में से करीब 43,000 करोड़ रुपये का प्रवाह दिसंबर के पहले दो सप्ताह में हुआ है। माना जा रहा है कि FPI प्रवाह के लिए यह सबसे अच्छा साल हो सकता है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में भी उन्होंने लगभग 60,000 करोड़ रुपये डाले हैं।

मॉर्निंगस्टोर इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर अगले साल होने वाले आम चुनाव के बीच राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि विदेशी निवेशकों के लिए प्रमुख मुद्दा रहेगी। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति और ब्याज दर परिदृश्य भारतीय शेयरों में विदेशी प्रवाह की दिशा तय करेगा। उन्होंने कहा कि अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि के साथ भारत FPI के आकर्षण का केंद्र बना रहेगा।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2023 में भारतीय शेयर बाजार में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये डाले हैं। निराशाजनक वैश्विक परिदृश्य के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसे के चलते भारतीय बाजारों के प्रति विदेशी निवेशकों का आकर्षण बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि FPI का यह सकारात्मक रुख अगले साल यानी 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है।

दिसंबर के लिए मैन्युफैक्चिरिंग और सर्विसेज पीएमआई का डेटा भी अमेरिका, यूरोप, जापान और यूके सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा जारी किया जाएगा। इन आंकड़ों पर भी मार्केट पार्टिसिपेंट्स की नजर रहेगी।

ये फैक्टर भी रहेंगे अहम

शेयर बाजार में मार्केट पार्टिसिपेंट्स की नजर एफओएमसी की बैठक के नतीजों से पहले 12 दिसंबर को जारी होने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर रहेगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नवंबर में मुद्रास्फीति और मुख्य मुद्रास्फीति के क्रमश: 3.2 फीसदी और 4 फीसदी पर स्थिर रहने की उम्मीद है। वहीं यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड अगले सप्ताह 14 दिसंबर को ब्याज दर पर अपने फैसले की घोषणा करेंगे। यह दर 4.5 प्रतिशत और 5.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है।

महंगाई के आंकड़ों पर नजर

जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से अधिक 7.6 प्रतिशत वृद्धि के बाद केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया। इस तरह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति बरकरार है।

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